आज नहीं मनाया गया शौर्य दिवस एवं काला दिवस, दोंनो समुदायों के बीच सौहार्द बनाए रखने की उपेक्षा
27 साल बाद 6 दिसंबर को पहली बार ऐसा मौका होगा, जब इस दिन न तो काला दिवस मनेगा और न ही शौर्य दिवस। आपको बता दे की आज के दिन ही बाबरी विध्वंस हुआ था जिसके कारण बीजेपी अपना शौर्य दिवस साथ ही मुस्लिम पक्ष ब्लैक डे के रूप में मनाती है।
आज के दिन कोई भी भाषण नहीं दिया जाएगा या जुलूस भी नहीं निकलेगा। छह दिसंबर को हिंदूवादी संगठन जहां शौर्य दिवस के रूप में तो मुस्लिम समुदाय इसे काला दिवस के रूप में मनाया करते थे। इससे कई बार टकराव की स्थिति भी बनी। राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह पहला छह दिसंबर है। ऐसे में प्रशासन ने भी कमर कस ली है। डीएम की अध्यक्षता में कलक्ट्रेट में शांति समिति की बैठक हुई।
क्या शौर्य दिवस और काला दिवस ना मनाने का फैसला सही है?
क्या सही मायने में इससे आपसी भाईचारा बनी रहेगी?
दोनो समुदायों के अपने अपने विचार है साथ ही दोंनो की अपनी मानसिकता है। दोनो समुदायों को अपने हिसाब से अपने दिवसों को मनाने की आजादी है। मेरे अनुसार भारत देश गौरान्वित तब महसूस करता जब आज के दिन दोनो समुदाय सौहार्दपूर्ण तरीके से अपने अपने दिनों को मनाते।
प्रशासन ने कश रखा है कमर कोई भी नही कर सकता शांति भंग।
आपको जानकारी दे दे की प्रशासन ने भी कमर कस ली है। डीएम की अध्यक्षता में कलक्ट्रेट में शांति समिति की बैठक हुई। डीएम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, जो सभी को स्वीकार करना है। ऐसे में अब हम सबकी जिम्मेदारी है कि आपसी भाईचारे के साथ गंगा-जमुनी सभ्यता का परिचय देते हुए आपसी प्रेम और सद्भाव के साथ मिलजुल कर रहें। सोशल मीडिया पर किसी तरह की बयानबाजी बर्दाश्त नहीं होगी।