पटना कर जेडी वीमेंस कॉलेज में बुर्का पहनने पर लगा प्रतिबंध…
पटना स्थित जेडी वीमेंस कॉलेज ने नया ड्रेस कोड लागू किया है जिसके तहत कॉलेज ने छात्राओं के लिए ड्रेस कोड के पालन करने को लेकर सख्ती दिखाते हुए बुर्का तक पहनकर कॉलेज आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। कॉलेज प्रशासन की तरफ से कहा गया है कि अगर इन नियमों का छात्राएं पालन नहीं करेंगी तो उन्हें 250 रुपए फाइन देना हाेगा। इसके बाद छात्राओं ने इसपर आपत्ति जाहिर की और इससे संबंधित नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

हंगामे के बाद कॉलेज प्रशासन ने नोटिस से बुर्का शब्द हटा दिया है, लेकिन ड्रेस कोड को सख्ती से अनुपालन करने का निर्देश दिया है।
इस संबंध में कॉलेज की प्राचार्या का कहना है कि
“बुर्के की आड़ में छात्राएं ड्रेस पहनकर नहीं आती थीं। इसके साथ ही बुर्का पहनकर किसी युवक के या किसी तरह के अज्ञात के कॉलेज परिसर में घुस आने की आशंका को देखते हुए ही बुर्का पहनकर कॉलेज आने पर पाबंदी लगाई गई थी। लेकिन, अब इसपर हो रहे विवाद को देखते हुए कॉलेज ने नोटिस से बुर्का शब्द हटा दिया है। लेकिन, ड्रेस कोड को लेकर कोई बदलाव नहीं किया गया है।”
कॉलेज के इस नियमपर बहुत सारी छात्राओं को आपत्ति है। उनका कहना है कि बुर्के से कॉलेज को क्या दिक्कत है? ये नियम तो बस थोपने वाली बात है। इस मामले में कॉलेज की प्राचार्या डॉक्टर श्यामा राय ने कहा कि ये घोषणा हमने पहले ही की थी। नए सेशन के ओरिएंटेशन के समय में छात्राओं को बताया गया था। हमने ये नियम छात्राओं में एकरूपता लाने के लिए किया है। शनिवार के दिन वो अन्य ड्रेस पहन सकती हैं, शुक्रवार तक उन्हें ड्रेस कोड में आना है।
इस मामले में पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभाकर टेकरीवाल का कहना है कि कॉलेज में ड्रेस कोड तय है, तो पालन करना चाहिए। कोर्ट के लिए तय ड्रेस कोड का पालन वकील करते हैं। कोर्ट में कोई बुर्का पहन कर नहीं आता। लिहाजा, कॉलेज के मामले में भी आपत्ति का औचित्य नहीं है। कानूनन भी इसे अवैध नहीं ठहराया जा सकता।
इस मामले पर कार्यवाहक नाजिम, इमारत-ए-शरिया, मौलाना शिबली अलकासमी ने कहा है कि “इसकी तहकीक जाएगी। अगर पाबंदी लगी है तो फिर इसका विरोध किया जाएगा। जेडी वीमेंस कॉलेज का यह कदम गलत है। यह प्राचार्या की मानसिकता को दर्शाता है। एक खास तबके को निशाना बनाया जा रहा है। यह समाज को तोड़ने वाला कदम है।”

